आखिर क्यों हारी टीम इंडिया?

— By Himata Ram Patel

टी-20 वर्ल्डकप में भारत को पाकिस्तान से सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के खिलाड़ियों के सामने जैसे भारतीय खिलाडियों ने सरेंडर ही कर दिया। आखिर भारतीय टीम की इतनी बुरी हार क्यों हुई और पाकिस्तान की ऐसी धमाकेदार जीत कैसे हुई? इसको आप कई बिंदुओं से सरल भाषा में समझ सकते हैं।

पहला बिंदु यह है कि भारतीय टीम में करोड़पति, अरबपति खिलाड़ी हैं जो केवल रिकार्ड तोड़ने के लिए खेलते हैं जबकि पाकिस्तान की टीम में मध्यम वर्गीय परिवारों के खिलाड़ी हैं जो अपना गुजारा मैच फीस और बोर्ड द्वारा देने वाले वेतन पर करते हैं।

भारतीय खिलाडियों के लिए यह मैच केवल एक ‘मैच’ था उनके अनुसार हार-जीत होती रहती हैं जबकि पाकिस्तान के खिलाड़ियों के लिए यह मैच एक ‘जंग’ थी जिसको वो हर हाल में जीतना चाहते थे।

सच बात यह है कि पाकिस्तान के खिलाड़ियों में जीतने की इतनी बैचेनी थी कि वो मैच के दौरान ही जीत के लिए नमाज़ अदा करने लगे। यह बैचेनी टीम इंडिया में बिल्कुल नहीं थी।

दूसरा बिंदु यह है कि भारतीय टीम भारी भरकम संसाधनों से सम्पन्न हैं। हमारी टीम के पास अरबपति कप्तान हैं, शानदार कोच है और अनुभवी खिलाड़ी हैं जिससे हमारी टीम में ओवर कांफिडेंस साफ़ नज़र आ रहा था। जबकि पाकिस्तान टीम के पास ऐसा कुछ नहीं है। वो केवल अपना वजूद बचाने के लिए मैदान में उतरी थीं।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया का सबसे धनवान बोर्ड हैं जिसकी सालाना आय लगभग चार हजार करोड़ रुपए है जबकि पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सालाना आय केवल आठ सौ करोड़ रुपए ही हैं।

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की कुल संपत्ति एक हजार करोड़ रूपए हैं जबकि पाकिस्तान टीम के कप्तान बाबर की कुल संपत्ति मात्र 29 करोड़ ही हैं।

तीसरा बिंदु यह है कि पाकिस्तान के खिलाड़ी हमेशा अपने धर्म और देश को ऊपर रखते हैं। वो सबसे पहले अपने आप को मुसलमान मानते है उसके बाद पाकिस्तानी। वो अपने देश के लिए खेलें। जब वो जीत गए तो उन्होंने इस जीत को ‘अल्लाह’ की मेहरबानी माना। मैच के बाद जब वो मीडिया से बातचीत कर रहे हैं तो वो बार बार जीत के लिए अल्लाह को धन्यवाद दे रहे थे। जबकि भारतीय टीम के करोड़पति खिलाड़ी रिकार्ड बनाने और तोड़ने के लिए खेलते हैं। जीत जाते हैं तो जीत का श्रेय खुद या खिलाड़ियों को दे देते हैं और हार जाते हैं तो पिच ख़राब थी का बहाना बनाकर इतिश्री कर लेते हैं।

जब देश का मुद्दा आता है तो पाकिस्तानी क्रिकेटर खुल कर अपने देश का साथ देते हैं। यहां तक कि कश्मीर मुद्दे पर भी वो अपने देश पाकिस्तान का खुल कर पक्ष लेते हैं जबकि भारतीय खिलाड़ी ऐसे मुद्दों से दूर रहते हैं। न ही उनको ऐसे मुद्दों पर भारत का पक्ष लेते हुए देखा जाता है। वो बिल्कुल प्रोफेशनल है। उनको अमूमन क्रिकेट खेलते, विज्ञापन करते और अपनी लाइफ को इंजॉय करते देखा जाता है।

चौथा बिंदु यह है कि पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपने आप को देश से अलग स्वतंत्रत निकाय नहीं मानता हैं। जबकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपने आप को एक स्वतंत्र और भारत सरकार से अलग निकाय मानता हैं। वो भारत सरकार से किसी भी तरह की दखलंदाजी पसंद नहीं करता है। उनका कहना हैं कि वो एक स्वतंत्र निकाय हैं और उनकी संपत्ति पर भारत सरकार तथा देश की जनता का कोई अधिकार नहीं हैं।

अब आप समझ गए होंगे कि जब BCCI खुद को भारत सरकार से अलग एक स्वतंत्र निकाय मानता हैं तो उनके खिलाड़ी देश के लिए गंभीरता से कैसे खेल पाएंगे?

मज़े की बात देखिए भारतीय टीम को हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका में ‘श्वेत-अश्वेतों” के बीच होने वाले भेद-भाव तो नज़र आता है।लेकिन कश्मीर और बंग्लादेश में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों में मारें गए हिन्दुओं के परिवारों की पीड़ा उनको नज़र नहीं आती। अमेरिका के लिए मैच शुरू होने से पहले प्रतिकात्मक रूप से श्वेत अश्वेत के विरोध में आधे झुक जातें हैं लेकिन वो कश्मीर और बंग्लादेश में मारें गए लोगों के लिए मैच शुरू होने से पहले प्रतिकात्मक रूप से विरोध करना जरूरी नहीं समझते हैं।

हिमता राम पटेल
शिक्षक और राजनीतिक विश्लेषक।

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